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Showing posts from May, 2020

श्री राधा नामावली

श्री राधा कृष्णाय शारनाम मम: #श्री_राधा_जी के 32 नामों का स्मरण करने से जीवन में सुख, प्रेम और शांति का वरदान मिलता है। धन और संपंत्ति तो आती जाती है जीवन में सबसे जरूरी है प्रेम और शांति.. श्री राधा जी के यह नाम जीवन को बनाते हैं शांत और सुखमयी... 1  : मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !! 2  : सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !! 3 : परम् पुनीता राधा ! राधा !! 4 : नित्य नवनीता राधा ! राधा !! 5 : रास विलासिनी राधा ! राधा !! 6 : दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !! 7 : नवल किशोरी राधा ! राधा !! 8 :  अति ही भोरी राधा ! राधा !! 9 : कंचनवर्णी राधा ! राधा !! 10 : नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !! 11 : सुभग भामिनी राधा ! राधा !! 12 : जगत स्वामिनी राधा ! राधा !! 13 : कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !! 14 : आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !! 15 : प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !! 16 : रस आपूर्ति राधा ! राधा !! 17 : नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !! 18: नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !! 19 : कोमल अंगिनी राधा ! राधा !! 20 : कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !! 21 : कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !! 22: परम् हर्षिणी राधा ! राधा !! 23 : स

हनुमान चालीसा का ज्ञान वर्तमान परिपेक्ष में

हनुमान चालीसा का ज्ञान वर्तमान परिपेक्ष में 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है। पर क्या आप जानते हैं कि श्री *हनुमान चालीसा* में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है। माना जाता है तुलसीदास ने चालीसा की रचना बचपन में की थी।  हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की। अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी  के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं।  हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई।  हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं…. शुरुआत गुरु से… 〰️〰️〰️〰️〰️ हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है… श्रीगुरु चरन सरोज रज,  निज मनु मुकुरु सुधारि। *अर्थ* - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं। गुरु का महत्व चालीसा क

Bada Mangal : ज्येष्ठ माह का बड़ा मंगलवार, होती है बजरंग बली की पूजा-जानें क्यों खास है ये दिन

हिन्दू धर्म में हमेशा ही मंगलवार को हनुमान जी की पूजा की जाती है। वहीं ज्येष्ठ माह के मंगलवार को बड़ी धूम से मनाया जाता है। आज ज्येष्ठ माह का पहला मंगलवार है। इस बार ज्येष्ठ में चार मंगलवार पड़ने वाले हैं।  हुई थी श्रीराम से मुलाकात माना जाता है कि ज्येष्ठ माह के महीने में पड़ने वाले मंगलवार को ही हनुमान जी की मुलाकात प्रभु श्रीराम से हुई थी। भगवान शिव के 12 रूद्र अवतार माना जाता है कि शिव ने 12 रुद्र अवतार लिए थे। जिनमें सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। बताया जाता है कि एक बार लखनऊ के नवाब सआदतअली खां काफी बीमार हो गए थे। उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए मां छतर कुंबर ने हनुमान जी से मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने के बाद उन्होंने अलीगंज में हनुमान मंदिर बनवाया था। ऐसे करें पूजा ज्येष्ठ माह में आने वाले मंगलवार के दौरान मंदिरों में खास रौनक दिखती है मगर लॉकडाउन के बाद ऐसा करना ना तो संभव है और ना ही उचित। इस दिन हनुमान चालिसा का पाठ करना चाहिए। इस दिन हनुमान का मंत्र पढ़ना भी शुभ माना जाता है। आप हनुमान जी को चना, गुड, मीठी पूड़ी आदि प्रसाद चढ़ाना चाहिए।

जप महिमा Jap Mahima,भगवन्नाम का जप क्यों करें?

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जप महिमा Jap Mahima  एक बार नारद जी ने भगवान ब्रह्मा जी से कहाः "ऐसा कोई उपाय बतलाइए, जिससे मैं विकराल कलिकाल के काल जाल में न फँसूं।" इसके उत्तर में ब्रह्माजी ने कहाः                                 आदिपुरुषस्य नारायणस्य नामोच्चारणमात्रेण निर्धूत कलिर्भवति। ‘आदि पुरुष भगवान नारायण के नामोच्चार करने मात्र से ही मनुष्य कलि से तर जाता है।’ सर्वशास्त्रों का मन्थन करने के बाद, बार-बार विचार करने के बाद, ऋषि-मुनियों को जो एक सत्य लगा, वह है भगवन्नाम।  तुकारामजी महाराज कहते हैं-                                 ‘नामजप से बढ़कर कोई भी साधना नहीं है। तुम और जो चाहो से करो, पर नाम लेते रहो। इसमें भूल न हो। यही सबसे पुकार-पुकारकर मेरा कहना है। अन्य किसी साधन की कोई जरूरत नहीं है। बस निष्ठा के साथ नाम जपते रहो। ’    इस भगवन्नाम-जप की महिमा अनंत है। इस जप के प्रसाद से शिवजी अविनाशी हैं एवं अमंगल वेशवाले होने पर भी मंगल की राशि हैं। परम योगी शुकदेवजी, सनकादि सिद्धगण, मुनिजन एवं समस्त योगीजन इस दिव्य नाम-जप के प्रसाद से ही ब्रह्मनंद का भोग करते हैं। भवतशिरोमणि श्रीनारद जी, भक

आइए जानते हैं धर्म और सांस्कृतिक के बारे में..."श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-*

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अपने धर्म और संस्कृति के बारे मे *पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -* *1. युधिष्ठिर    2. भीम    3. अर्जुन* *4. नकुल।      5. सहदेव* *( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )* *यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन* *की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।* *वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..* *कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -* *1. दुर्योधन      2. दुःशासन   3. दुःसह* *4. दुःशल        5. जलसंघ    6. सम* *7. सह            8. विंद         9. अनुविंद* *10. दुर्धर्ष       11. सुबाहु।   12. दुषप्रधर्षण* *13. दुर्मर्षण।   14. दुर्मुख     15. दुष्कर्ण* *16. विकर्ण     17. शल       18. सत्वान* *19. सुलोचन   20. चित्र       21. उपचित्र* *22. चित्राक्ष     23. चारुचित्र 24. शरासन* *25. दुर्मद।       26. दुर्विगाह  27. विवित्सु* *28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ* *31. नन्द।        32. उपनन्द   33. चित्रबाण*