मारक ग्रह (शत्रु ग्रह) के उपाय

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*_मारक ग्रह (शत्रु ग्रह) के उपाय :-_*
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*_उपाय के चार प्रकार होते हैं:-_* |
*_1. जल प्रवाह करना_*
*_2. दान करना_*
*_3. रत्न धारण करना_*
*_4. पाठ पूजन करना_*


*_जिस ग्रह का रत्न धारण किया जाता है, उस ग्रह का दान कभी नहीं किया जाता है I रत्न धारण करने का मतलब ही यह है कि उस गृह की किरणों को शरीर में बढ़ाना है I दान करने से यह किरणे कम होती हैं I_*

*_किसी भी ग्रह से जुड़ी हुई वस्तु का जल प्रवाह करने से उस ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है।_*

*_पाठ पूजन,सिमरन, हवन,आरती,व्रत करने से भी ग्रह प्रसन्न होता है और अपना दुष्प्रभाव कम करता है I_* *_अपने शुभ प्रभाव बढ़ाता है I_*


*_सूर्य देव के उपाय:-_*
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_(रविवार को करना है)_
_सूर्य देव को जल देना_
_तांबे का सिक्का जल प्रवाह करना_
_शक्कर चींटियों को डालना_
_ब्रह्म देव की उपासना करना_
_माणिक जल प्रवाह करना_
_सूर्य देव के वैदिक मंत्र का जाप करें ।_
*_वैदिक मंत्र: ऊँ सूर्याय नम:_*
_नोट:- पिता या पिता तुल्य व्यक्तियों से मधुर संबंध रखने से सूर्यदेव कुंडली में अच्छा प्रभाव देते हैं I_

*_चंद्र देव के उपाय:-_*
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_(सोमवार को करना है )_
_दूध दान करना_
_चावल दान करना ,मिश्री दान करना_
_चीनी दान करना या चींटियों को डालना_
_श्वेत वस्तु (वस्त्र, फूल) दान करना_
_मोती दान या जल प्रवाह करना_
_सोमवार को दूध या जल शिवलिंग पर चढ़ायें और शिव जी पूजा करें I_
_चंद्र देव के वैदिक मंत्र का जाप करें I_
*_वैदिक मंत्र: ऊँ सों सोमाय नम:_*
_नोट:- माता या माता तुल्य स्त्रियों से मधुर संबंध रखना,उनसे आशीर्वाद लेना, उनकी सेवा करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं।_


*_मंगल देव के उपाय:‐_*
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 _(मंगलवार को करना है)_
_हनुमान जी को सिन्दूर चढ़ाना_
_हनुमान जी को चोला चढ़ाना_
_टमाटर का दान_
_गाजर का दान_
_अनार का दान_
_रक्त दान_
_लाल चीज का दान_
_शक्कर चींटियों को डालना_
_लाल सूखी मिर्च जल प्रवाह करना_
_मूँगा जल प्रवाह करना_
_हनुमान जी को पान के पत्ते चढना_
_मंगल देव के वैदिक मंत्र का जाप करें।_
*_वैदिक मंत्र: ऊँ भुं भौमाय नम: अथवा_*
*_ऊँ अं अंगारकाय नम:_*
_नोट:- छोटे भाई या छोटे भाई तुल्य व्यक्ति से मधुर संबंध रखना, ख्याल रखने से मंगल देव प्रसन्न होते हैं I_

_बुद्ध देव के उपाय (बुधवार को करना है)_
_हरा चारा गाय को डालना खीरा दान करना_
_पुदीना दान करना_
_पन्ना जल प्रवाह करना_
_बाज़रा पंछियों को डालना_
_साबुत मूंग का दान करना_
_हरी वस्तु (वस्त्र, चूड़ियाँ इत्यादि )_
_तुलसी का दान और सेवा, किन्नरों को कुछ भी खाने को देना_
_बुद्ध देव के वैदिक मंत्र का जाप करें I_
*_वैदिक मंत्र: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ॥ (or)_* 
*_ऊँ गंग गणपतये नमः_*
_नोट:- छोटी कन्या, मौसी, बुआ, बहन, भाभी, ताई, चाची, मामी से मधुर संबंध रखने से बुध देव प्रसन्न होते हैं I_

*_बृहस्पति देव के उपाय_*
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 _(बृहस्पतिवार को करना है)_
_शक्कर का दान या चींटियों को डालना_
_बेसन के लड्डू का दान करना_
_केले, हल्दी का दान करना_
_केले क पेड़ को जल देना_ _और सेवा करना_
_चने की दाल का दान करना_
_गेंदे का फूल मन्दिर में चढ़ाना_
_धार्मिक और ज्ञानवर्धक_ _पुस्तके बांटना,_
_सुनेला जल प्रवाह करना।_
_नोट:- बुजुर्गो की सेवा करना, गुरूजनो का सम्मान करना, पिता या पिता तुल्य व्यक्तियों से मधुर संबंध रखना._
_बृहस्पतिवार को हल्दी की पीली गाँठे जल प्रवाह करें। और बृहस्पति देव के वैदिक मंत्र का जाप करें।_
*_वैदिक मंत्र: ऊँ बृं बृहस्पतये नम:_*

*_शुक्र देव के उपाय :_*
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 _(शुक्रवार को करना है )_
_चीनी दान करना_
_चावल दान करना_
_आटा दान करना_
_सफ़ेद मिठाई (रसगुल्ला,_ _छेना मुर्की, बर्फी) दान करना_
_इत्र दान करना_
_जरकन (ओपल ) दान करना_
_सौंदर्य प्रधान वस्तुओं का दान करना_
_मिश्री दान करना_
_नोट:- पत्नी, प्रेमिका के साथ मधुर संबंध रखना, स्त्रियों का आदर करना I_
_हर शुक्रवार को कच्चे दूध (1/2 cup) से स्नान करें और शुक्र देव के बीजमंत्र का जाप करें I_
*_बीजमंत्र: ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ॥ (or)_*
*_ऊँ शुं शुक्राय नम:*_

*_शनि देव के उपाय:_* _(शनिवार को करना है)
_काले तिल दान करना/ चीटियों को डालना_
_सरसों के तेल का दाल करना_
_काली जुरावें दान करना_
_पीपल के वृक्ष को जल देना_
_पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों का दीपक जलाना_
_काला वस्त्र का दान करना_
_लोहे की वस्तुओं का दान करना (चिंता, तवा)_
_नीली जल प्रवाह करना_
_शनि चालीसा का दान करना_
_कोयला दान करना / जल मे प्रवाह करना_
_जूता, चप्पल दान करना_
_नोट:- निम्न स्तर का कर्मचारी (मजदूर, नौकर, कामवाली, भिखारी) के साथ सही व्यवहार रखने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं I_
_शनिवार को शाम को 7 बजे के बाद (या) सोते समय 5-10 minutes शनि देव के बीजमंत्र का जाप करें।_
_*बीजमंत्र:ऊँ शं शनैश्चराय नम:*_

_राहु देव के उपाय: (शनिवार को करना है )_
_चाय की पत्ती दान करना_
_अगरबत्ती दान करना_
_सिक्का दान करना_
_बिजली की तार जल प्रवाह करना_
_गोमेद जल प्रवाह करना_
_सतनाजा चीटियों को डालना_
_काला सफ़ेद कम्बल दान करना_
_विकलांगो की सहायता करना_
_कुस्थश्रम में दान करना, नेत्रहीनों की सेवा करना I_
_शनिवार को चाय की पत्ती (100gm), १ अगरबत्ती का पैकेट शनि देव के मंदिर के बाहर गरीबों को दान करें और देते समय राहु मंत्र “ॐ रां राहवे नमः” का जप करें I_
_नोट: किसी भी प्रकार से शारीरिक असमर्थ लोगों का ख्याल रखने से राहु देव प्रसन्न होते हैं I_
_रोजाना शाम को 7 बजे के बाद (या) सोते समय 5-10 minutes राहु देव के बीजमंत्र का जाप करें।_
_*बीजमंत्र: ऊँ रां राहवे नम:*_

_*केतु देव के उपाय:*_ _(मंगल, बुधवार को करना है) काला सफ़ेद कपड़ा दान करना निम्बू दान करना,अमचूर दान करना,आंवले का अचार दान करना,चाकू दान करना,कुत्ते की सेवा करना कुत्ते को कपड़ा पहनना_
_नोट:- नाना के परिवार से मधुर संबंध रखने से केतुदेव प्रसन्न होते हैं._
_रोजाना शाम को 7 बजे के बाद (या) सोते समय 5-10 minutes केतु देव के बीजमंत्र का जाप करें I_
*_बीजमंत्र: ऊं कें केतवे नम:।_*

*_🌞 उपाय में रिश्तों का महत्त्व:- 🌞_*
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_बहुत सारी कुण्डलियों में यह देखने में आया है कि लोग उपायों की ओर तो बहुत ध्यान ध्यान देते हैं।और लाखो रूपये खर्च कर डालते हैं,परन्तु तब भी उन्हें पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है जिस कारण से उनका जीवन कष्टमय ही रहता है ! क्यूंकि वे जातक ग्रहों के उपाय तो करते हैं, परन्तु उन ग्रहों से सम्बन्धित रिश्तों को नहीं सम्भालते हैं ! रिश्तों को सम्मान देकर उस ग्रह को सही ढंग से स्वयं के अनुकूल किया जा सकता है !_

*_ग्रहों से सम्बन्धित रिश्तों का विश्लेषण निम्न प्रकार से है:-_*

_1. सूर्य देव: पिता, दादा, ताऊ, पिता तुल्य व्यक्ति आदि I_

_2. चंद्र देव: माता, चाची, ताई या घर की बड़ी उम्र की महिलाएं, माता तुल्य स्त्रियां आदि I_

_3. मंगल देव: छोटा भाई, छोटा भाई तुल्य व्यक्ति, मित्रो के छोटे भाई आदि I_

_4. बुध देव: कंजक (छोटी उम्र की कन्यायें), छोटी बहनें, मौसी, मामी, बुआ, घर की बेटियां, बहनें, अड़ोस-पड़ोस की स्त्रियां, बहन तथा बेटी तुल्य महिलाएं, साली आदि I_

_5. बृहस्पति देव: गुरु, अध्यापक, धार्मिक प्रवचनकर्ता, शिक्षा देने वाले व्यक्ति, बड़ा भाई, पुत्र, पति, मित्रों के बड़े भाई, शिक्षित बुजुर्ग आदि I_

_6. शुक्र देव: प्रेमी – प्रेमिका का सम्बन्ध, पति-पत्नी का रिश्ता, कलाकार आदि I_

_7. शनि देव: कामवाली, झाडूवाली, कचरेवाली, भिखारी, नौकरीपेशा आदि I_

_8. राहु देव: अपंग व्यक्ति, कोढ़ी, वृद्ध भिखारी, अस्वस्थ व्यक्ति, शराबी, जुआरी, किसी भी प्रकार का नशा करने वाला, ससुराल परिवार आदि।_

_9. केतु देव: नाना का परिवार, समाज का त्याग कर चुके साधु-संत, घर का पालतू कुत्ता, पत्नी का भाई, पुत्र संतान आदि।_

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