यंत्रों में सर्वोत्तम श्रीयंत्र - श्री यन्त्र और श्री विद्या त्रिपुर सुंदरी - प्रतिदिन करें श्रीयंत्र की पूजा, मिलेंगी अद्भुत शक्तियां और अपार धन - Best Among Yantras, 'SHRI YANTRA' - DAILY WORSHIP Can Give Immense Wealth & Power :
यंत्रों में सर्वोत्तम श्रीयंत्र - श्री यन्त्र और श्री विद्या त्रिपुर सुंदरी - प्रतिदिन करें श्रीयंत्र की पूजा, मिलेंगी अद्भुत शक्तियां और अपार धन - Best Among Yantras, 'SHRI YANTRA' - DAILY WORSHIP Can Give Immense Wealth & Power :
प्रतिदिन श्रीयंत्र के दर्शन मात्र से ही इसकी अद्भुत शक्तियों का लाभ मिलना शुरू हो जाता है, ऐसा पौराणिक शास्त्रों में उल्लेख है। अत: मनुष्य को चाहिए कि वे हर रोज श्रीयंत्र के दर्शन और पूजन का लाभ अवश्य लें।
इतना ही नहीं नियमित मां महालक्ष्मी के मंत्र जाप करने अथवा शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी और श्रीयंत्र का पूजन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को अद्भुत शक्तियां और अपार धन देती है।
श्रीयंत्र को यंत्रराज भी कहा जाता है। मंत्रों में गायत्री मंत्र को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है तो यंत्रों में श्रीयंत्र को सर्वोत्तम माना जाता है। भगवती त्रिपुरसुंदरी की साधना (श्रीयंत्र साधना) सर्वोच्च और सर्वश्रेष्ठ साधना है। अनेक साधकों, गृहस्थों, संन्यासियों ने खुले हृदय से स्वीकार किया है कि यह साधना कलियुग में कामधेनु के समान है। यह एक ऐसी साधना है, जो साधन को पूर्ण मान-सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाती है।
भगवती त्रिपुरसुंदरी की उपासना श्रीयंत्र में की जाती है, जिसे श्री चक्र भी कहा जाता है। यह श्रीयंत्र अथवा श्रीचक्र भगवान शिव और मां शिवा दोनों का शरीर है, जिसमें ब्रह्मांड और पिंडांड की ऐक्यता है। एक बार जब भगवान ने सभी मंत्रों को दैत्यों द्वारा दुरुपयोग से बचाने के लिए कीलित कर दिया था, तब महर्षि दत्तात्रेय ने ज्यामितीय कला के द्वारा वृत्त, त्रिकोण, चाप अर्धवृत्त, चतुष्कोण आदि को आधार बनाकर बीज मंत्रों से इष्ट शक्तियों की पूजा हेतु यंत्रों का आविष्कार किया। इसलिए महर्षि दत्तात्रेय को श्रीविद्या एवं श्रीयंत्र का जनक कहा जाता है। यह विश्व ही श्री विद्या का गृह है।
त्रिपुरसुंदरी चक्र ब्रह्मांडाकार है। इस यंत्र की रचना दो त्रिकोणों की परस्पर संधि से होती है, जो एक दूसरे से मिले रहते हैं। इससे ब्रह्मांड में पिंड का और पिंडांड में ब्रह्मांड का ज्ञान होता है। यह यंत्र शिव और शक्ति की एकात्मता को भी प्रदर्शित करता है। सही शब्दों में यंत्र-पूजा देव शक्ति को आबद्ध करने का सर्वोत्तम आधार है, जिसमें श्रीयंत्र पूर्णतः सफल है।
एक स्थान पर स्वयं भगवान आद्य शंकराचार्य ने कहा है कि ‘मेरे संपूर्ण साधना-जीवन का सारांश यह है कि संसार की समस्त साधनाओं में त्रिपुरसुंदरी साधना स्वयं में पूर्ण है, अलौकिक है, अद्वितीय है और आश्चर्यजनक रूप से सिद्धि प्रदान करने वाली है।’
श्रीयंत्र की साधना किसी भी आयु, वर्ग अथवा जाति का साधक कर सकता है।
श्रीयंत्र के संबंध में आवश्यक सावधानियां
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
श्रीयंत्र प्राप्त करते समय एवं पूजन के संबंध में साधकों को निम्नलिखित कुछ विशिष्ट बातों का ध्यान रखना चाहिए। श्रीयंत्र पूर्णतः शुद्ध एवं प्रामाणिक होना चाहिए। यदि श्रीयंत्र किसी धातु-पत्र पर बना हो तो वह उत्कीर्ण अथवा धंसी हुई रेखाओं में नहीं, बल्कि उभरी हुई रेखाओं में हो। यदि वह मणि, अथवा शिला का बना हो और मेरु आकार का हो तो उसके कोण सही प्रकार से बने हों और वे खंडित अथवा संख्या में कम या अधिक न हों। उनकी संख्या 49 होनी चाहिए। यंत्र किसी योग्य व्यक्ति द्वारा प्राण-प्रतिष्ठित होना चाहिए। श्रीयंत्र को सिद्ध करने के पहले योग्य गुरु से दीक्षा प्राप्त कर लेनी चाहिए। यदि साधक जप करने की स्थिति में न हो तो श्रीयंत्र के समक्ष केवल प्रार्थना, आरती अथवा स्तोत्र पाठ करें। साधना समर्पित भाव से करनी चाहिए। यंत्र की स्थापना के बाद प्रतिदिन उसका अभिषेक व पूजन आवश्यक है। अभिषेक यदि न भी कर सकें तो पूजन अवश्य करें।
श्री यंत्र के मुख्य तीन रूप होते हैं।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
( १ ) : - भूपृष्ठ : - जो यंत्र समतल होता है, उसे भूपृष्ठ कहते हैं। यह स्वर्ण, रजत अथवा ताम्रपत्र पर बनाया जाता है। इसे भोजपत्र पर भी बनाया जा सकता है, परंतु इसकी निर्माण प्रक्रिया अत्यंत क्लिष्ट होने के कारण सामान्यतः इसे बना- बनाया ही प्राप्त किया जाता है।
( २ ) : - कच्छ-पृष्ठ : - जो श्रीयंत्र मध्य में कछुए की पीठ के समान उभरा हुआ हो उसे कच्छप-पृष्ठ कहा जाता है।
( ३ ) : - मेरु पृष्ठ : - जिस श्रीयंत्र की बनावट सुमेरु पर्वत की आकृति में हो, उसे मेरु पृष्ठ कहा जाता है। स्फटिक मणि से बने यंत्र अधिकांशतः मेरु पृष्ठकार होते हैं।
स्फटिक से बने श्रीयंत्र की एक विशिष्टता है कि जिस समय साधक आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण होता है उस समय उसके शरीर से बाहर प्रवाहित होने वाली ऊर्जा को यह स्वयं में समाहित कर लेता है। परंतु इसके लिए यह अत्यंत ही आवश्यक है कि पूजा-स्थल में रखा हुआ श्रीयंत्र पूर्णतः प्राण प्रतिष्ठित और चैतन्य हो साथ ही उसके कोण आदि निर्धारित संख्या में और समान आकार में हों
श्रीयंत्र वास्तव में श्री अर्थात् लक्ष्मी का निवास स्थान है। जहां श्रीयंत्र की स्थापना नियमानुसार होती है वहां लक्ष्मी का वास होता है।
श्रीयंत्र की स्वामिनी भगवती ललिता की उपासना के लिए दीक्षा एक अनिवार्य शर्त है, परंतु यदि कोई योग्य गुरु न मिलें तो श्रीयंत्र की पूजा श्रद्धा और विश्वासपूर्वक जन सामान्य भी कर सकते हैं। इससे सुख-समृद्धि के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी स्वतः ही खुलने लगता है।
भगवती ललितांबा शक्ति संपन्न वैष्णवी शक्ति हैं, वे ही विश्व की कारण भूता परामाया हैं, भोग और मोक्ष की दाता हैं और संपूर्ण जगत् को मोहित किए हुए हैं।
आइए जानें कैसे पाएं वे अद्भुत शक्तियां और खूब सारा धन
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
* श्रीयंत्र को मंदिर या तिजोरी में रखकर प्रतिदिन पूजा करें।
* इस यंत्र की पूजा से मनुष्य को धन, समृद्घि, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है।
* रुके कार्य बनने लगते हैं। व्यापार की रुकावट खत्म होती है।
* जन्मकुंडली में उपस्थित विभिन्न कुयोग श्रीयंत्र की नियमित पूजा से दूर हो जाते हैं।
* इसकी कृपा से मनुष्य को अष्टसिद्घियां और नौ निधियों की प्राप्ति होती है।
* प्रतिदिन कमल गट्टे की माला पर श्रीसूक्त के 12 पाठ के जाप करने से लक्ष्मी प्रसन्न रहती है।
* श्रीयंत्र की पूजा के साथ
'श्री महालक्ष्म्यै नमः',
'श्री ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' तथा
'श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।'
इनमें से किसी एक मंत्र का जाप प्रतिदिन 1 माला (108 बार) जपने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपार धन और अद्भुत शक्तियां देकर जीवन की परेशानियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है।
* इतना ही नहीं श्रीयंत्र के नियमित पूजन से समस्त रोगों का नाश होता है।
।। जय श्री हरि ।।
नोट :
1. आप को यह लेख कैसा लगा ? कॉमेंट्स में अपने विचार अवश्य लिखें. कुछ आपके अनुभव, या विचार इस बारे में हों, वोह भी बताएं. अच्छा लगे, तो 'लाइक', कमेन्ट और शेयर करें. आपकी प्रतिक्रिया (Response) देख कर ही हम उस तरह के लेख अधिकाधिक पोस्ट करने का प्रयास करते हैं, जो आपके लिए उपयोगी हों. हमारी मेहनत के बदले में कम से कम इतना तो आप अवश्य करें ! तो हमारी पोस्ट्स पढ़ते रहें (लाइक और कमेंट/शेयर भी करते रहे, वर्ना, हम लिखना बंद कर देंगे, या फिर आपको नोटिफिकेशन मिलनी बंद हो जाएगी).
2. जैसा कि नीचे 'साभार' से ही स्पष्ट है, यह एक शेयर्ड अपडेट है, इसमें विचार लेखक के हैं, हमारे नहीं. वैसे भी ऐसी बातें आपकी रुचि और जानकारी के लिए शेयर की जाती हैं.
(साभार : श्री Alok Sharma)
🍃🌼🍃🌼🍃🌼🍃🌼🍃🌼
आप का आज का दिन मंगलमयी हो - आप स्वस्थ रहे, सुखी रहे - इस कामना के साथ।
(प्रिय मित्रो, हम आप सब का सहयोग और आशीर्वाद अपने पेज के लिए भी चाहेंगे। कृपया आप इसे 'like'करें और अपने मित्रों को भी 'like' करने के लिए 'Ínvite' करें। जो मित्र ऐसा करें, कृपया कमेंट्स में बताएं भी कि आपने अपने मित्रों को आमंत्रित किया है)।
Dear Friends, we invite your co-op in popularising our page । Please like this page and also INVITE YOUR Friends, TO LIKE THE PAGE।
Comments
Post a Comment